
Share0 Bookmarks 92 Reads0 Likes
उजाला है हर एक शहर में
फिर भी अँधेरा-सा लगता है
कई शामे गुज़री इन गलियों में आसिफ़
फिर भी कुछ सवेरा-सा लगता है
हम जहाँ थे वहां ठीक थे अपने थे
No posts
No posts
No posts
No posts
उजाला है हर एक शहर में
फिर भी अँधेरा-सा लगता है
कई शामे गुज़री इन गलियों में आसिफ़
फिर भी कुछ सवेरा-सा लगता है
हम जहाँ थे वहां ठीक थे अपने थे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments