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मैं एक फ़रमान हूँ
तेरे लिए अहकाम हूँ
तुझ से कैसे डरूँ तू बता
मैं मुसलमान हूँ
तेरी हसरत नहीं होगी पूरी
तेरी तमन्ना रह जाएगी अधूरी
मैं जोड़ता इसमें ईमान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
वहाँ पे तू बे-ज़बान होगा
बुरा तेरा अंजाम होगा
चार दिन की हुकूमत पे इतना नशा
मैं तो सदियों से सुल्तान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
अपनी हरकत से किसी को न सता
सच्चाई जा कर अपनी सबको बता
बैठकर कुर्सी पे क्यों इतराता है तू
मैं तो दोनों जहाँ की जान हूँ
मैं मुसलमान हूँ
तेरी अच्छाई जंग खाने लगी
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