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ख़्वाब को साथ मिलकर सजाने लगे
घर कहीं इस तरह हम बसाने लगे
कर दिया है ख़फ़ा इस तरह से हमें
मान हम थे गए फिर मनाने लगे
~ मुहम्मद आसिफ अली
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ख़्वाब को साथ मिलकर सजाने लगे
घर कहीं इस तरह हम बसाने लगे
कर दिया है ख़फ़ा इस तरह से हमें
मान हम थे गए फिर मनाने लगे
~ मुहम्मद आसिफ अली
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