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बस इतना चाहती हूँ
की मेरि कोशिशो क़ि तुम कद्र करो
बस इतना चाहती हूँ
की जब मैं टूटने लागु, तुम मेरी फ़िक्र करो
माना औरो जैसी नहीं मैं, माना कमिया है मुझमे
ज़िम्मेदारी निभाती हूँ सारी
पर कभी अगर रह जाए कोई कमी
बस इतना चाहती हूँ
के तुम मुझे समझो
हाथ थाम के बस एक बार कह दो
सब ठीक हो जाएगा...
प्यार करती तुम्हे
जान से भी ज़्यादा
तुम भी मुझे उतना ही चाहो
बस इतना चाहती हूँ
की मेरि कोशिशो क़ि तुम कद्र करो
बस इतना चाहती हूँ
की जब मैं टूटने लागु, तुम मेरी फ़िक्र करो
माना औरो जैसी नहीं मैं, माना कमिया है मुझमे
ज़िम्मेदारी निभाती हूँ सारी
पर कभी अगर रह जाए कोई कमी
बस इतना चाहती हूँ
के तुम मुझे समझो
हाथ थाम के बस एक बार कह दो
सब ठीक हो जाएगा...
प्यार करती तुम्हे
जान से भी ज़्यादा
तुम भी मुझे उतना ही चाहो
बस इतना चाहती हूँ
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