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तेरा ही सहारा

Mridul ChandelMridul Chandel June 16, 2020
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जिंदगी वैसे ही खफा चल रही थी,

अब एक नया कहर उसने ढाया है,


आमदनी का ठिकाना तो पहले ही न था,

अब भूख से मरने का वक़्त आया है,


बदहवास निकल पड़ा हूँ घर से,

अब ठौर न ही कोई ठिकाना है,


सूख गया है रक्त चलते-चलते,

अब ईश्वर बस तेरा ही सहारा है।


- मृदुल

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