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मैं मंदिर मंदिर क्यों घूमूं
पत्थर में भगवान क्यों ढूंढूँ
जब चारों धाम हैं मेरी माँ के चरणों में
तो मैं कहीं और भगवान क्यों ढूंढूँ
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मैं मंदिर मंदिर क्यों घूमूं
पत्थर में भगवान क्यों ढूंढूँ
जब चारों धाम हैं मेरी माँ के चरणों में
तो मैं कहीं और भगवान क्यों ढूंढूँ
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