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सच ने किस का साथ कब तक दिया है
सो हमने भी झूठ अपना लिया है
हमने ढाए जुर्म जो मुफ़लिसों पर
उनका बदला क़ब्र ने ले लिया है
रोज़-ए-महशर देख कर गोशवारा
हमने हिस्से में जहन्नम लिया है
वो जो उस मज़लूम को था सताया
ये भी रब ने कै़द में ले लिया है
अब आगे आब-ए-बक़ा तो रखा है
पर मरने का कर इरादा लिया है
रोते हो अब कैफ़ को याद करके
तुमने ये क्या हाल अपना किया है
-Kaif saifi
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