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साथ दो जरा
तो चलो अपने पंख लगाते है,
कब तक बैठे रहे हांथ पर हांथ
रख कर,
चलो आसमां की सैर कर आते है,
मैने सुना है, पंछियों से ऊंची उड़ान
इंसान की होती है
चलो हौंसले बुलंद कर आते है,
यह जमीन, बो फलक,
सब छोटे कर दें हम
अपनी मंजिल को छू कर,
इस दुनियां को दिखाते है,
यह माना के रास्ते, मुश्किल है,
चलें.... इन पंखों को,
मजबूत कर आते हैं,
आसमां से कहदो,
उड़ान यह जारी रहेगी,
आसमां से कहदो, उड़ान यह जारी रहेगी
क्योंकि हौंसलो को बुलंदी में
बदलने की हम कला सीख आते हैं।
बेफिक्री, देअदव सब कुछ रहने दो
मुस्कुराने की वजह रहने दो
पंखों को मजबूत करते रहे हम हैं
इस आसमां को अपनी जगह रहने दो
चलो हांथ बड़ा कर उसे छू आते हैं।
लेकिन उड़ान तो यह जारी रहेगी
उड़ान तो यह जारी रहेगी
आसमां से कहना वहीं रहे
हम अपने पंखों से उड़ान को,
इतना ऊंचा करेंगे
के हम उससे आकर गले वहीं मिलेंगे।
गले हम वहीं मिलेंगे।
{M.M.Kashyap}
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