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करुणा कि सागर को धार बना के
तुम भी लहरों सी हुंकार भरो।
अबला नहीं हो तुम नारी
इस बात का अभिमान करो।
दिखाए कोई आंख अगर तो
न तुम सहम सी जाना।
चाहे पकड़े कोई हाथ तुम्हारा
न डर कर तुम चुप रह जाना।
उठो लड़ो और आगे बढ़ो
अपनी समस्याओं का खुद समाधान बनो।
अबला नहीं हो तुम नारी
इस बात का अभिमान करो।
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