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मैंने खुद से मिलना सीख लिया
प्यार भरी बाते करना शुरू किया
यही तो प्रमाण है
की मैंने तो अब चलना सीख लिया..
चोट खाकर दुःख तो
अब भी होता है
तमाशा करने के लिये
दिल अब न रोता है
मैंने आंसू पीना सीख लिया
हां यही सच है
मैंने तो अब चलना सीख लिया..
लक्ष्य से भटकने का
मलाल तो होता है
मायूस होता है दिल
ये हाल भी होता है
पर खुद की तकलीफें सहना
सीख लिया
हा यह सच है
मैने तो अब चलना सीख लिया..
निराशा आती तो है
पर उसे रुकना होता है
आशा के सूरज को
फिर उगना होता है...
कुछ ऐसे ही अल्फाज़ो में
दर्द को दवा बनाना सीख लिया
हा ये सच है,
मैंने तो अब चलना सीख लिया..
ज़िद्दी हूँ न ,ज़िद पवित्रता की
कैसे छोड़ सकती हूँ
दलदल में भी कमल का सपना
कैसे तोड़ सकती हूँ
पर थोड़ा धीरज रखना भी
सीख लिया
हा बाबा अब
मैंने तो चलना सीख लिया...
नही अब गिरकर हताश होती हूँ,,
उठकर फिर नया प्रयास करती हूँ
अब डर को हराना सीख लिया
यही तो सच है
मैंने तो अब चलना सीख लिया..
रूठती हूँ मगर न नाराज़ होती हूँ,
करती हूँ वादे और खुद का
हमराज़ होती हूँ
अब मैंने खुदसे नज़रे मिलाना
सीख लिया
हा यही सच है
मैंने तो अब चलना सीख लिया...
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