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हजारों गीत हैं मेरे जहन में,
मगर एक खास तराना ढूंढ रही हूँ,
जहाँ परवाह हो मेरी किसी को,
वो एक ठिकाना ढूंढ रही हूँ।
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हजारों गीत हैं मेरे जहन में,
मगर एक खास तराना ढूंढ रही हूँ,
जहाँ परवाह हो मेरी किसी को,
वो एक ठिकाना ढूंढ रही हूँ।
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