Share0 Bookmarks 46998 Reads2 Likes
हम बेटियों को कभी खुद के लिए जीना ही नहीं सिखाया जाता। सुबकुछ दूसरों के लिए करना होता है। हमें एक साँचे में ढ़ाला जाता है और हम उसी के अनुसार ढ़ल जाती हैं। लाख शिकायतों के बावजूद किसी बात के लिए सिकवा नहीं करती। हम अच्छी बेटी का किताब ले लेते हैं। घर-परिवार, रिश्तेदार, पड़ोसी आपकी तारीफों के पुल बांध देते हैं। फलाना की बेटी तो गाय है, देखों घर का सारा काम करती है, कभी किसी को पलटकर जवाब नहीं देती, सर झुकाकर चलती है, हमने कभी उसे गली में खड़े नहीं देखा, कम हँसती है, स्कूल-कॉलेज से सीधा घर आती है, किसी की तरफ देखती तक नहीं, बोलती भी कम है, भगवान ऐसी बेटियाँ सबको दें।
फिर किसी दिन वही बेटी कहती है मुझे पढ़ना है, जॉब करनी है, अभी शादी नहीं करनी तब अचानक से वही सभ्य बेटी सबकी आँखों की किरकिरी बन जाती है। जल्दी जल्दी उसकी रुखसती के ख्वाब देखें जाने लगते हैं। अपने हक म
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments