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कोरोना या कर्मा!

mini POETRYmini POETRY June 16, 2020
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चारों ओर कोहराम मचा

सारी दुनिया घबराई है

स्वर्ग सी अपनी धरती पर

ये कैसी आफ़त आयी है,,

जबसे मैंने जन्म लिया

न देखा ऐसा मंज़र है

धरती के सीने में घुसता 

कोरोना रूपी खंज़र है,,

सूने हो गए गली मोहल्ले

बन्द हो गए रास्ते

घर में रुकना है अब तुमको

बस जीने के वास्ते,,

अभी समय है रोक लो खुद को

घर में ही सुरक्षित रह पाओगे

अभी नहीं संभले तो सुन लो

आगे बहुत पछताओगे

प्रकृति की गोद में पलकर

उसी को छलनी करते हैं

ज़ुर्म करते बेज़ुबानों पर

और ख़ुद की प्रसंशा करते हैं

कोरोना नहीं ये कर्मा है

तेरी हसरत गुम हो जाएगी

जब-जब बढ़ेगा ज़ुर्म तेरा

कुदरत कहर बरसाएगी

बात पते की बता रही है

सबक सिखा रही कोरोना

घायल करदे जो धरती को

तुम ऐसा काम करोना,,

तुम ऐसा काम करोना,,


https://youtu.be/0Tu4k5lptlo


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