रुपए के यार's image
Poetry1 min read

रुपए के यार

AnkurAnkur February 19, 2022
Share0 Bookmarks 31720 Reads0 Likes

कुछ यार मेरी शक्सियत के बने , कुछ बने मेरे बटुए के

बटुए के यार आज भी वफादार हैं, अपने ही साथ छोड़ गए !!


मतलब निकल जाने पे अजनबी से जो आप हो गए

खता मेरी है जो में ज़माने के निज़ाम भूल गया !!


कुछ ख्वाइशें तो मैने खरीद ली

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts