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जो कभी अपने थे पराये बन जाते हैं,
उनके ही पैरों तले अरमान कुचल जाते है,
उन्हीं के तीर से दिल तार -तार होता है,
उन्हीं के ज़ख्म से दर्द सौ बार होता है#
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जो कभी अपने थे पराये बन जाते हैं,
उनके ही पैरों तले अरमान कुचल जाते है,
उन्हीं के तीर से दिल तार -तार होता है,
उन्हीं के ज़ख्म से दर्द सौ बार होता है#
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