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*संयोग*
मिलना बिछड़ना, हंसना,रोना,
जीवन का। ऐसा संगम है,
कभी खुशियां मिले कभी गम भी मिले,
जीवन एक ऐसा संगम है,
इंसान जब पैदा होता है,
सब कुछ उसको मिल जाता है,
रिश्तों, नातों के बंधन में बंध कर,
जीवन रह जाता है,
ममता के आंचल की छाया में,
जीवन उसका सजता हैं,
माता पिता के प्यार दुलार में,
हौले-हौले कदमो पे चलता है,
धीरे-धीरे जीवन उसका मंजिल,
की ओर बढ़ता है,
राह में फूल और कांटे बड़े,
फिर भी मंजिल की ओर सदा ही,
आगे बढता रहता है,#
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