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*संवेदना*
मई का महीना था गर्मी बहुत बढ़ गयी थी,
लखनऊ से वाराणसी के लिए मेल ट्रेन आ रही थी,
जनरल डिब्बे सामने की बर्थ पर एक बूढ़ी-और
एक बूढ़ा आदमी आकर दोनों बैठे थे,
वह बूढ़ा आदमी अपने भाग के नशे में परेशान था
। उस बूढ़ी औरत को प्यास लगी थी,
गर्मी के साथ उस बूढ़ी औरत की प्यास बढ़ती
जा रही थी, बूढ़े को कोई परवाह नहीं थी
बूढ़ी औरत के पास बस बीस रूपए ही थे,
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