
*संवेदना*
मई का महीना था गर्मी बहुत बढ़ गयी थी,
लखनऊ से वाराणसी के लिए मेल ट्रेन आ रही थी,
जनरल डिब्बे सामने की बर्थ पर एक बूढ़ी-और
एक बूढ़ा आदमी आकर दोनों बैठे थे,
वह बूढ़ा आदमी अपने भाग के नशे में परेशान था
। उस बूढ़ी औरत को प्यास लगी थी,
गर्मी के साथ उस बूढ़ी औरत की प्यास बढ़ती
जा रही थी, बूढ़े को कोई परवाह नहीं थी
बूढ़ी औरत के पास बस बीस रूपए ही थे,
प्यास से उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी,
पानी बेचने वाला आया बार -बार बूढी यही
उलझन में थी पानी खरीद लूंगी तो यह भी
बीस रूपए खर्च हो जाएगा मेरे पास पैसा नही रहेगा
यही सोचते -सोचते प्यास से चक्कर आ गया, .
सीट से नीचे गिर गयी, .
बगल के बैठे सभी यात्री उठकर बूढ़ी के गिरने का, .
कारण पूछा .
बुड्ढा आदमी बोला प्यास के वजह से ऐसा हुआ है .
सभी सज्जन बूढी को पानी पिलाया प्यार से समझाएं .
सीट पर बैठाए बूढी सकुशल अपने घर पहुंच गयी।
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