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अपने मन के विश्वास को,
कभी छोटा किया नहीं,
जो मुझ पर बीता सहा वही,
पर कभी तुमसे कुछ कहा नहीं,
चारों तरफ रहा घना अंधेरा,
कभी छोटा किया नहीं,
जो मुझ पर बीता सहा वही,
पर कभी तुमसे कुछ कहा नहीं,
चारों तरफ रहा घना अंधेरा,
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