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बारिश में भीगता एक मासूम बच्चा,
रोता बिलखता अपने मां के पीछे भाग रहा था
वर्षा की बूंदें उसके बदन से सिमट कर
उसके आंसुओं को धो रहीथी
कपड़ों के नाम पर चिथड़े लिपट रहे थे
मासूम नंगे बदन को ढकने की कोशिश कर रहे थे
भूखा विलखता बचपन क्या यूं ही रह जाएगा
इनको दो वक्त की रोटी तन ढकना हुआ मुहाल
यही सोच सोच मै आगे बढती जा रही थी
देखा
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