धूप छांव's image
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अपने और पराए में

जीवन भवर बन रह गया,

मंजिल भी अंजान बन गई

सपनों का महल बिखर गया,

रेत बनी मंजिल भी राहें

अपनो का दामन छूट गया,

जीवन की अब साझ ह

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