धूप छांव's image
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अपने और पराए में

जीवन भवर बन रह गया,

मंजिल भी अंजान बन गई

सपनों का महल बिखर गया,

रेत बनी मंजिल भी राहें

अपनो का दामन छूट गया,

जीवन की अब साझ हो रही

गम के बादल हटे नहीं,

चंद खुशी के पल बिन,

अब जीवन के पल कटे नहीं,

गम और खुशी के पहरो में

मैने जीना सीख लिया।



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