
Share0 Bookmarks 207 Reads0 Likes
अवधी भाषा
गोरी की आंख बड़ी रतनारी,
हाथ में शोभे हरि-हरि चुड़िया
ना जाने चुड़िया की मोल ,
सजन हमरो परदेशिया
जब परदेशी छुट्टी घर आया
बड़े शौक से मै थाली लगायी
ना जाने रोटी की मोल ,
सजन हमरो परदेशिया ।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments