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मेरे अरमान मेरे सपने,
बिखर गये तिनके बनकर,
ना कोई उम्मीद बाकी रही,
अब तो शाम ढल गयी उनपर,
एक लौ रोशनी की इन अंधेरों में दिख जाए
हसरतें जवान हो जाए सवरकर,।
कोन है ज
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मेरे अरमान मेरे सपने,
बिखर गये तिनके बनकर,
ना कोई उम्मीद बाकी रही,
अब तो शाम ढल गयी उनपर,
एक लौ रोशनी की इन अंधेरों में दिख जाए
हसरतें जवान हो जाए सवरकर,।
कोन है ज
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