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"नव बसंत को आना है"

menka sushantmenka sushant February 5, 2022
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हर सांस व्याकुल सी रहती है, 
 हर आस व्याकुल सी रहती है, 
 उस नव प्रभात को आना है, 
 उस नव बसंत को आना है।
 नीरव धरती- नीरव मन, 
अब आस यही सब साधे हैं, 
 आने वाला वह नवप्रभात, 
बस राह उसी के आगे है। 
 टूटे पत्ते, टूटे मन 
 गिरती शाखा विचलित तन, 
 नव कोंपल है सब की आस, 
 सबको उन पर है विश्वास, 
 बस नव प्रभात आ जाओ तुम, 
 बस नव बसंत आ जाओ तुम। 
 दूर उदासी के बादल हों
  खिली धूप से छा जाओ तुम, 
  बस इस इंतजार में... 
 उस नवप्रभात को आना है, 
  उस नवबसंत को आना है।
           -मेनका सुशान्त

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