जैसी भी मिल जाए, भूख भेद कहाँ करती है,
अधपकी रोटी भी पेट तो पूरा भरती है,
दूध, दही, तरकारी जिसे मिले उसे सुहाए,
अम्मा मेरी रातों में सपने भी गिना करती है।
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