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मैं आया था

Mehak BajajMehak Bajaj May 25, 2023
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मैं आया था

मैं उस दिन, उस समय वहाँ जहाँ तुमने बुलाया

मैं आया था

मैंने इंतजार किया तुम्हारा

चाय की टपरी के बाहर रखी मेज़ और कुरसी, तुम कभी फुरसत निकाल पूछना उनसे

में आया था

हमारा वो खास किनारा मै और साथ तुम्हारा

वो मंद-मंद चलती जुनूनियत वाली फिज़ाए

में आया था

उस पटरी को निहारना कभी

तुम आभोगी, तो हो सकता है मैं वापस ना जाऊँ

सड़क के किनारे, शायद मैं बैठा मिल जाऊँ

मैं आया था

मैं फिर वही पहले जैसे,

फूलों की डाली से दो-चार सुमन तुम्हारे खातिर जुदा कर लाया था

तुम नहीं आई, पर मैं आया था
रास्ते भर, जैसा तुम चाहती थी, छोटी-बड़ी हर खुशी को दिल से लगाकर मुस्कुराहट बनाया था

तुम नहीं आई, पर मैं आया था

मैं आया था, सारा तनाव भूलकर बस तुम्हारा दीदार करने
 जानती हो कितने ज़रुरी काम छोड़े थे

तुम इतनी व्यस्त थी, जो आना सकी मिलने

मैं आया था

सारे किस्से कहानियाँ लेके

वो पहले वाली नादानियाँ लेके 
इस बार नहीं, तुम हर बार नहीं आती

जब से भोलापन गिरवी रखा है महनत को छोड़कर
जब से चहरे बदलने लगा हूँ खुद से नाता तोड़कर 
जब से रोड़ी पत्थर वाले शहरों की आबो-हवा में जीने लगा हूँ 
बरखा जिसमें भीगा करता था, अब मेघा जैसे आँसू पीने लगा हूँ 
वो सौंधी मिट्टी की खुशबू जैसी तुम , तुम नहीं आती हो

'सुकून' 
महबूबा मेरी, मैं आया था पर क्यों हर बार तुम मुझे दूर से ही देखा जानी जाती हो….???

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