Share0 Bookmarks 44257 Reads1 Likes
मैं आया था
मैं उस दिन, उस समय वहाँ जहाँ तुमने बुलाया
मैं आया था
मैंने इंतजार किया तुम्हारा
चाय की टपरी के बाहर रखी मेज़ और कुरसी, तुम कभी फुरसत निकाल पूछना उनसे
में आया था
हमारा वो खास किनारा मै और साथ तुम्हारा
वो मंद-मंद चलती जुनूनियत वाली फिज़ाए
में आया था
उस पटरी को निहारना कभी
तुम आभोगी, तो हो सकता है मैं वापस ना जाऊँ
सड़क के किनारे, शायद मैं बैठा मिल जाऊँ
मैं आया था
मैं फिर वही पहले जैसे,
फूलों की डाली से दो-चार सुमन तुम्हारे खातिर जुदा कर लाया था
तुम नहीं आई, पर मैं आया था
रास्ते भर, जैसा तुम चाहती थी, छोटी-बड़ी हर खुशी को दिल से लगाकर मुस्कुराहट बनाया था
तुम नहीं
मैं उस दिन, उस समय वहाँ जहाँ तुमने बुलाया
मैं आया था
मैंने इंतजार किया तुम्हारा
चाय की टपरी के बाहर रखी मेज़ और कुरसी, तुम कभी फुरसत निकाल पूछना उनसे
में आया था
हमारा वो खास किनारा मै और साथ तुम्हारा
वो मंद-मंद चलती जुनूनियत वाली फिज़ाए
में आया था
उस पटरी को निहारना कभी
तुम आभोगी, तो हो सकता है मैं वापस ना जाऊँ
सड़क के किनारे, शायद मैं बैठा मिल जाऊँ
मैं आया था
मैं फिर वही पहले जैसे,
फूलों की डाली से दो-चार सुमन तुम्हारे खातिर जुदा कर लाया था
तुम नहीं आई, पर मैं आया था
रास्ते भर, जैसा तुम चाहती थी, छोटी-बड़ी हर खुशी को दिल से लगाकर मुस्कुराहट बनाया था
तुम नहीं
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments