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और क्या हुआ था फिर ?
बस कुछ नहीं
आज फिरसे एक अजनबी को अजनबी ही रहने दिया
इतना करीब लाके साइड से निकल गए
कभी अपना रास्ता पे ज्यादा विश्वास रखके किसी दूसरे को ना आने देना की कठोरता भी अलग मिजाज दे जाती हे
कुछ गलत नाइ था सब सही ही था
नहीं गलती उसकी थी
नहीं गलती हमारी थी
बस आज दिल
बस कुछ नहीं
आज फिरसे एक अजनबी को अजनबी ही रहने दिया
इतना करीब लाके साइड से निकल गए
कभी अपना रास्ता पे ज्यादा विश्वास रखके किसी दूसरे को ना आने देना की कठोरता भी अलग मिजाज दे जाती हे
कुछ गलत नाइ था सब सही ही था
नहीं गलती उसकी थी
नहीं गलती हमारी थी
बस आज दिल
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