Kumar VishwasPoetry1 min read
शाम की तरह हम ढलते जा रहे है, बिना किसी मंजिल के चलते जा रहे है।
August 12, 2022Share0 Bookmarks 31124 Reads0 Likes
मुश्किल होगा सफर, भरोसा है खुद पर तो चलो। तुम अपना कोई नया रंग बना सको तो चलो। जिंदगी के कुछ मीठे लम्हे बुन सको तो चलो। छोटी-छोटी खुशियों में जिंदगी ढूंढ सको तो चलो।शाम की तरह हम ढलते जा रहे है
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