
Kumar VishwasPoetry1 min read
August 12, 2022
शाम की तरह हम ढलते जा रहे है, बिना किसी मंजिल के चलते जा रहे है।

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मुश्किल होगा सफर, भरोसा है खुद पर तो चलो। तुम अपना कोई नया रंग बना सको तो चलो। जिंदगी के कुछ मीठे लम्हे बुन सको तो चलो। छोटी-छोटी खुशियों में जिंदगी ढूंढ सको तो चलो।शाम की तरह हम ढलते जा रहे है
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