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August 16, 2022
Independence Day: ख़ुशियों के गीत गाओ कि पंद्रह अगस्त है-मफ़तूं कोटवी

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ख़ुशियों के गीत गाओ कि पंद्रह अगस्त है
सब मिल के मुस्कुराओ कि पंद्रह अगस्त है
हर सम्त क़हक़हे हैं चराग़ाँ है हर तरफ़
तुम ख़ुद भी जगमगाओ कि पंद्रह अगस्त है
हर गोशा-ए-वतन को निखारो सँवार दो
महकाओ लहलहाओ कि पंद्रह अगस्त है
आज़ादी-ए-वतन पे हुए हैं कई निसार
ख़ातिर में इन को लाओ कि पंद्रह अगस्त है
रक्खो न सिर्फ़ ख़ंदा-ए-गुल हैं निगाह में
काँटों को भी हँसाओ कि पंद्रह अगस्त है
रूहें अमान-ओ-अम्न की प्यासी हैं आज भी
प्यास इन की अब बुझाओ कि पंद्रह अगस्त है
शम्अ' ख़ुलूस-ओ-उन्स की मद्धम है रौशनी
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