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सिगरेट के कश की तरह,
ज़िंदगी का लुत्फ़ लिए जाता हूँ...
दिल में बसे ज़ख़्मों को,
अल्फ़ाज़ दिए जाता हूँ...
हर एक कश में,
जो ज़िंदगी धुआँ होती है,
पैकेट कब ख़त्म हो,
इंतज़ार किए जाता हूँ...
-मृदुल
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