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छुआ ना हो, तुझको कभी…
महसूस किया है..
के साँसों सा, कभी रूह सा तुझे,
मख़्सूस* किया है..
ना आँखों में मेरी तुम हो,
ना नज़रों में बसे हो तुम..
मगर तुझको, मेरी धड़कन में ही..
महफ़ूज़ किया है…
चले काफिर, ज़माना है,
कहाँ रोके रुका है ये,
इबादत ने मेरी, दर को तेरे..
मख़्दूम** किया है..
जो चाहो दो, सज़ा मुझको..
के तेरा हक़, ही तो है ये..
जो तुमको खुद, ख़ुदा हम ही, ने तो..
मंज़ूर किया है..
-मृदुल
*
मख़्सूस - जो खास तौर पर या किसी विशेष कार्य के लिए अलग कर दिया गया हो, विशिष्ट, खास, प्रधान, प्रमुख, विशेष, निर्दिष्ट
https://www.rekhtadictionary.com/meaning-of-makhsuus?lang=hi
**
मख़्दूम - master, respected person, पूज्य; पूजनीय, जिसकी सेवा की गई हो, स्वामी; मालिक, मान्य
https://www.rekhtadictionary.com/meaning-of-makhduum?lang=hi
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