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यहाँ ऊँची मीनारों को विकास कहते हैं कुछ लोग , बनाने वाले हाथ सूखी रोटीखाकर आये थे , ये नहीं बताते वो लोग , हमें ना सही उस फटेहाल मज़दूर को हीबहला दो , रोज़ पूछता है विकास कौन है कब आएगा, कोई अच्छा सा जुमला देउसे फुसला दो
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