नया साल .नव वर्ष.हैप्पी न्यू ईयर बेमानी है जब इतना कुछ है जो नहीं है मेरे पास , नवीन अपने घर की छत पर खड़ा सोच रहा था,. छत जो नवीन के २ कमरों केनवीन अनुसार बहुत ही छोटे घर की थी .पास ही से गुज़रती बड़ी सड़क जो कभीसोती नहीं थी और अक्सर नवीन की चिढ़ का कारण बनती थी । एक पुराना नीमका पेड़ जो नवीन के घर के ठीक सामने था , और मानो कह रहा हो की नया या होया पुराना साल , मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता । आज ३१ तारीख़ की शाम थी औरनवीन के मन में पहले ही नये साल की पुरानी ज़िंदगी के लिए एक फ़रमाइशों कापिटारा तैयार था । एक नया घर जो बड़ी सड़क और शोर शराबे से दूर हो , एकऐसी जगह जहां हरियाली एक नीम के पेड़ से ज़्यादा हो , कमरे दो नहीं और ज़्यादाहों ।ऐसी कई बातें जो अब से ज़्यादा होनी चाहिए थीं , उसकी फ़रमाइशों काहिस्सा थीं । अपने विचारों में मग्न उसे एहसास ही नहीं हुआ की कब झुटपुटाअंधेरे में बदल गया .उसकी दोनों। बेटियाँ पिंकी और कविता उसे पुकारते छत परदौड़े चले आये और उसे ख़ुद की बनायी व्यस्तता से बाहर खींच लिया.पापा चलोमाँ ने ख़ाना बना दिया है कहा पिंकी ने। नवीन के अंतर्मन ने तपाक से कहाँ , कौनसे छप्पन भोग बने होंगे , उम्मीद है अगला साल इस मामले में भी बेहतर होगा ।कविता बोली , पापा पहले मानु चाचा की मिठाई की दुकान चलो , माँ ने कहा हैजलेबी लानी है । शिकायती अंतर्मन इस पर भी बोल उठा , मानु और उसकी पावभर जलेबी से ज़्यादा कभी तो जेब कुछ और लाने की इजाज़त देगी , शायद नयेसाल । अपने पुराने स्कूटर पर दोनों बेट
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