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जितना बाहर उतना अंदर है तो मैं क्या करूँ
वो अगर दरिया या समंदर है तो मैं क्या करूँ
अपने मिज़ाज का मैं भी अड़ियल फकीर हूँ
अपने मिज़ाज का वो सिकंदर है तो मैं क्या करुं
मैं भी फरिश्ता हूँ बा वजू इबादत मे रहता हूँ
वो कोई दरवेश
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