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सरे आईना छुपा रहा कोई

मारूफ आलममारूफ आलम October 18, 2021
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सरे आईना जुदा रहा कोई

पसे आईना छुपा रहा कोई


अपने अकल ऐ तसब्बुर मे

सारी उमर खुदा रहा कोई


जहन से मिट गया मेरे मगर

दिल पे कही गुदा रहा कोई


हमें अपना तो पता है,बाकी

पता नही कुजा रहा कोई


दौरे जहल मे हुक्मे खुदा से

बेजुबा

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