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सरे आईना जुदा रहा कोई
पसे आईना छुपा रहा कोई
अपने अकल ऐ तसब्बुर मे
सारी उमर खुदा रहा कोई
जहन से मिट गया मेरे मगर
दिल पे कही गुदा रहा कोई
हमें अपना तो पता है,बाकी
पता नही कुजा रहा कोई
दौरे जहल मे हुक्मे खुदा से
बेजुबानों की सदा रहा कोई
जीने का अंदाज रहा कोई
मरने की अदा रहा कोई
मारूफ आलम
शब्द अर्थ
सरे आईना- आईने के सामने
पसे आईना- आईने के पीछे
कुजा- कहाँ
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