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इख्तेलाफ क्यों हुआ लकीरें क्यों खिच गईं
भाई भाई,पुकारने वालों जागीरें क्यों बट गईं
क्या रास्ता कुछ और ना था जिससे इख्तेलाफ
ना होता ,प्यार बना रहता
भाई,भाई रहता,यार यार बना रहता
मुझे गम इसका नही कि हम जुदा हुए
गम इसका है ऐसे जुदा हुऐ कि
एक दूसरे के चेहरे से भी नफरत हो गई
वो मोहब्बत जो बचपन मे
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