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गुनाहों की गौद मे पलता रहा इंसान
सदी दर सदी यूहीं ढलता रहा इंसान
मिट्टी के कीड़ों ने हड्डियां भी न छोड़ीं
कब्र के अंधेरों मे गलता रहा इंसान
चीख मौत की कानों मे सुन
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गुनाहों की गौद मे पलता रहा इंसान
सदी दर सदी यूहीं ढलता रहा इंसान
मिट्टी के कीड़ों ने हड्डियां भी न छोड़ीं
कब्र के अंधेरों मे गलता रहा इंसान
चीख मौत की कानों मे सुन
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