
Share1 Bookmarks 438 Reads1 Likes
यादों के झरोखों से निकल आई वो किरण
जिसे चाहता था मन हां जिसे चाहता था मन
फिर से याद मुझको आए तुम्हारे वो सितम
जिसे चाहता था मन हां जिसे चाहता था मन
सब ने लूटा दिल को कारवां की तरह
उम्र भर रोया दिल नातवां की तरह
किसी ने भी हम पर ना किया वो करम
जिसे चाहता था मन हां जिसे चाहता था मन
यादों के झरोखों से निकल आई वो किरण
जिसे चाहता था मन हां जिसे चाहता था मन
ना बहार ही मिली ना सितारे ही मिले
ना ही बदली रूत
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments