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यादों के झरोखों से निकल आई वो किरण
जिसे चाहता था मन हां जिसे चाहता था मन
फिर से याद मुझको आए तुम्हारे वो सितम
जिसे चाहता था मन हां जिसे चाहता था मन
सब ने लूटा दिल को कारवां की तरह
उम्र भर रोया दिल नातवां की तरह
किसी ने भी हम पर ना किया वो करम
जिसे चाहता था मन हां जिसे चाहता था मन
यादों के झरोखों से निकल आई वो किरण
जिसे चाहता था मन हां जिसे चाहता था मन
ना बहार ही मिली ना सितारे ही मिले
ना ही बदली रूत
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