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तुम्हारे आंकड़ों मे हमारी
कहीं गिनती नही है
तुम्हारे वास्ते हम इंसान नही हैं
तुम्हारी वास्ते हमारा कोई मान नही है
तुम्हारी नजरों मे हमारा कोई कद नही है
तुम्हारे जुल्म की हम पर कोई सीमा नही है
तुम्हारे जुल्म की हम पर कोई हद नही है
जब चाहा ठूस दिया जेलों मे
जब चाहा रिहाई दे
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