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जैसे कि तुम मुहाज़िर हो कोई

मारूफ आलममारूफ आलम November 17, 2021
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वो तुम्हें धितकारते हैं ऐसे

जैसे कि तुम काफिर हो कोई

जैसे ये वतन तुम्हारा ना हो 

जैसे कि तुम मुहाज़िर हो कोई

उन्हें नफरत है तुम्हारे रंग रूप से

वो जलते हैं तुम्हारे वजूद से

तुम्हारे साथ करते हैं क्रूरता का व्यवहार

तुम्हारे ख़ूनपसीने का होता है व्यापार

वो तुम्हें हांकते हैं ऐसे 

जैसे कि तुम जानवर हो कोई

जंगल काटकर गोदाम

वो भरते हैं

और भरपाई आप लोग करते हैं<

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