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आहें पुकारें और नाश
जो भी देखा,
सब सच था।
मैं पुरे समय हँसता रहा
मनुष्य इतना नृशंश नहीं हो सकता,
मानवता का मूल्य इतना नहीं गिर सकता।
पर बच्चों के आंसू –
खून और विध्वंश,
चीखती मानवता
जो भी देखा,
सब सच था।
मैं पुरे समय हँसता रहा
मनुष्य इतना नृशंश नहीं हो सकता,
मानवता का मूल्य इतना नहीं गिर सकता।
पर बच्चों के आंसू –
खून और विध्वंश,
चीखती मानवता
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