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काश ज़ुबाँ होती इस दिल की
हाल ये अपना बता पाता
जैसे बसते राम-सिया हनुमत में
बसते हो बस तुम इस दिल में
साथ तुम अपने गर खंजर लाते
दिल चीर के अपना दिखा जाता
काश ज़ुबाँ होती इस दिल की
हाल ये अपना बता पाता
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अच्छा है जो साथ ये छूटा
फिर भी मेरा दिल न टूटा
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