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मुझे छोड़ के तुम न जाना प्रिये
बैठे-बैठे ही मैं बिखर जाऊंगा
रात रानी हो तुम मेरे बाग की
महकोगी नहीं तो मैं मर जाऊंगा
हाथों की लकीरों को जो जोड़ा था तुमने
तुमको उनकी कसम तुम जाओगी नहीं
मुझको पता है कि तुम हो स्वलम्बी
जाओगी तो तुम फिर आओगी नहीं
आपस मे फसी हैं अपनी उंगलियां
छुड़ाओगी उनको मैं सिहर जाऊंगा
एक कतरा कभी जो रखी थी सम्भाल
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