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"हे श्याम कृपा हम पर कर दो
एक याचक है शरण में आया।
पूजा की थाल में लाऊं क्या
अवगुण ही अपने भर लाया।"
"सच्चाई से कोसों दूर रहा
मैं पग-पग झूठ बोलता था
लोभ, मोह, मद, मत्सर में
जीवन की नाव डूबोता था
अपना एक महल बनाने में
कितने घर बार जला आया।"
हे श्याम कृपा हम पर कर दो
एक याचक है शरण में आया
* मनोज प्रवीण *
एक याचक है शरण में आया।
पूजा की थाल में लाऊं क्या
अवगुण ही अपने भर लाया।"
"सच्चाई से कोसों दूर रहा
मैं पग-पग झूठ बोलता था
लोभ, मोह, मद, मत्सर में
जीवन की नाव डूबोता था
अपना एक महल बनाने में
कितने घर बार जला आया।"
हे श्याम कृपा हम पर कर दो
एक याचक है शरण में आया
* मनोज प्रवीण *
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