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ये रश्में जहां की निभाने को
गैरों को अपना बनाना पड़ा
दर्द दिल के जहां से छुपाने को
मुस्कुरा कर के चेहरा दिखाना पड़ा
वो नजरों में मेरे बसे इस कदर
हम खुदा ही उन्हीं को समझने लगे
तूफा की थोड़ी ज्यों आहट हुई
छोड़ कश्ती में मुझको उतरने लगे
डूबने से ये कश्ती बचाने को
पतवार खुद से ही खेना पड़ा
चांद से खूबसूरत है चेहरा तेरा
ऐसी बातों से दिल को लुभाने लगे
चांद की रोशनी ज्यों धूमिल पड़ी
चांद में दाग है वो दिखाने लगे
उनके चेहरे को असली दिखाने को
चांद को बादलों में छिपाना पड़ा
प्यार में शर्त कोई न मैंने रखा
जीने मरने की कसमें वो खाने लगे
मेरी गुरबत ने ज्यों मुझको आंसू दिए
मुझसे नजरे चुरा कर वो जाने लगे
उनकी सूरत को दिल से भुलाने को
अश्क पलकों से हमको गिराना बड़ा
Manoj mishra
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