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राम बनना सरल है निभाना कठिन
राम का मर्म चख कर बताना कठिन
अपनी खुशियों को जग पे निछावर किये
जो पिता के वचन को धर्म मान ले
सारे कष्टों को हँस-हँस के सहता रहे
जो सेवा ही अपना कर्म मान ले
हँसते हँसते वचन को निभाना कठिन
राम बनना सरल है निभाना कठिन
ऐसे भाई का प्रेम कहां अब मिलेगा
राम का मर्म चख कर बताना कठिन
अपनी खुशियों को जग पे निछावर किये
जो पिता के वचन को धर्म मान ले
सारे कष्टों को हँस-हँस के सहता रहे
जो सेवा ही अपना कर्म मान ले
हँसते हँसते वचन को निभाना कठिन
राम बनना सरल है निभाना कठिन
ऐसे भाई का प्रेम कहां अब मिलेगा
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