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राम बनना सरल है निभाना कठिन
राम का मर्म चख कर बताना कठिन
अपनी खुशियों को जग पे निछावर किये
जो पिता के वचन को धर्म मान ले
सारे कष्टों को हँस-हँस के सहता रहे
जो सेवा ही अपना कर्म मान ले
हँसते हँसते वचन को निभाना कठिन
राम बनना सरल है निभाना कठिन
ऐसे भाई का प्रेम कहां अब मिलेगा
जो भाई को माता-पिता मान ले
पादुका भाई की अपने सर पर रखें
जो भाई पर तन-मन सभी वार दे
भाई का भाई पर सब लुटाना कठिन
राम बनना सरल है निभाना कठिन
**********************
मनोज मिश्र
राम का मर्म चख कर बताना कठिन
अपनी खुशियों को जग पे निछावर किये
जो पिता के वचन को धर्म मान ले
सारे कष्टों को हँस-हँस के सहता रहे
जो सेवा ही अपना कर्म मान ले
हँसते हँसते वचन को निभाना कठिन
राम बनना सरल है निभाना कठिन
ऐसे भाई का प्रेम कहां अब मिलेगा
जो भाई को माता-पिता मान ले
पादुका भाई की अपने सर पर रखें
जो भाई पर तन-मन सभी वार दे
भाई का भाई पर सब लुटाना कठिन
राम बनना सरल है निभाना कठिन
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मनोज मिश्र
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