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देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
अन्न के दाता होकर भी
इन्हें भूखे रात बितानी है
दिनभर खेतों में रह करके
ये कड़ी धूप में तपते हैं
खेतों में पानी देने को
ये सर्द रात में जगते हैं
रातों में ठंड से कांप कांप
इनको सुख चैन गंवानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
असमय बारिश की बूंदे
जब धरती पर आ गिरती हैं
धनवानों के चेहरे खिलते
कृषको की छाती फटती है
फसलें सब चौपट हो जाती
आंखों से बहते पानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
ये अपने अन्न के दानों का
सही दाम भी ना पाते
इसी अन्न को बेच बेच
वो साहूकार हैं बन जाते
सरकारी सुविधाओं में
होती हालाकानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
बैंकों से मिलता कर्ज नहीं
जूते घिस घिस थक जाता है
कृषि लोन के चक्कर में
बैंको के धक्के खाता है
लोन उन्हीं को मिलता है
जो होते खानदानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
गांवो में ये रह कर के
जीवन भर खेती करते हैं
जो कर्ज अगर ये ले लेते
नहीं जीवन में भर सकते हैं
कर्ज़ो में ही डूब डूब
इनको जान गंवानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
अपने अन्न की कीमत को
खुद से तय ये नहीं कर सकते
कीमत नमक के पैकेट की
साहूकार ही तय करते
ऐसी सरकार बदलनी है
जो करती ये मनमानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
जो किसान उपजाता अन्न
रुपयों को सदा तरसता है
उसी अन्न को बेच कोई
नित नई तिजोरी भरता है
अब दर्द किसानों का लिखने
हम सबको कलम उठानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
जिनको वोट ये कर देते
सरकारें उनकी बनती हैं
हर नेता झूठे वादे करता
हर सरकार निकम्मी होती है
एक और दो बीघे में फंस कर
होती व्यर्थ जवानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
उनको शहीद का दर्जा दो
जो खेतो को खून से हैं सींचें
गश खाकर खेतों में गिरे मिले
अस्पताल भी ना पहुंचे
मेरे अब इस नारे को
संसद तक पहुंचानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
सत्ता के गलियारों में
ये चर्चा बहुत जरूरी है
संविधान के पन्नों में
परिवर्तन बहुत जरूरी है
अब किसान को आरक्षण
सत्ता में हमें दिलानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
Manoj praveen
यह करुणा भरी कहानी है
अन्न के दाता होकर भी
इन्हें भूखे रात बितानी है
दिनभर खेतों में रह करके
ये कड़ी धूप में तपते हैं
खेतों में पानी देने को
ये सर्द रात में जगते हैं
रातों में ठंड से कांप कांप
इनको सुख चैन गंवानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
असमय बारिश की बूंदे
जब धरती पर आ गिरती हैं
धनवानों के चेहरे खिलते
कृषको की छाती फटती है
फसलें सब चौपट हो जाती
आंखों से बहते पानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
ये अपने अन्न के दानों का
सही दाम भी ना पाते
इसी अन्न को बेच बेच
वो साहूकार हैं बन जाते
सरकारी सुविधाओं में
होती हालाकानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
बैंकों से मिलता कर्ज नहीं
जूते घिस घिस थक जाता है
कृषि लोन के चक्कर में
बैंको के धक्के खाता है
लोन उन्हीं को मिलता है
जो होते खानदानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
गांवो में ये रह कर के
जीवन भर खेती करते हैं
जो कर्ज अगर ये ले लेते
नहीं जीवन में भर सकते हैं
कर्ज़ो में ही डूब डूब
इनको जान गंवानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
अपने अन्न की कीमत को
खुद से तय ये नहीं कर सकते
कीमत नमक के पैकेट की
साहूकार ही तय करते
ऐसी सरकार बदलनी है
जो करती ये मनमानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
जो किसान उपजाता अन्न
रुपयों को सदा तरसता है
उसी अन्न को बेच कोई
नित नई तिजोरी भरता है
अब दर्द किसानों का लिखने
हम सबको कलम उठानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
जिनको वोट ये कर देते
सरकारें उनकी बनती हैं
हर नेता झूठे वादे करता
हर सरकार निकम्मी होती है
एक और दो बीघे में फंस कर
होती व्यर्थ जवानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
उनको शहीद का दर्जा दो
जो खेतो को खून से हैं सींचें
गश खाकर खेतों में गिरे मिले
अस्पताल भी ना पहुंचे
मेरे अब इस नारे को
संसद तक पहुंचानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
सत्ता के गलियारों में
ये चर्चा बहुत जरूरी है
संविधान के पन्नों में
परिवर्तन बहुत जरूरी है
अब किसान को आरक्षण
सत्ता में हमें दिलानी है
देश में आज किसानों की
यह करुणा भरी कहानी है
Manoj praveen
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