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वो कान्हा लौट के आओ
तुम्हें मधुबन बुलाता है
वो मोहन लौट के आओ
तुम्हें मधुबन बुलाता है
मटकी फोड़ कर माखन
कन्हैया तुम चुराते थे
खिलाकर ग्वाल बालों को
कन्हैया तुम भी खाते थे
मटकी फोड़ने आओ
तुम्हें मधुबन बुलाता है
वो कान्हा लौट के आओ
तुम्हें गोकुल बुलाता है।
चराते थे जहां गइया
वो वृंदावन भी सूना है
बंशी की मधुर धुन पर
नचाता श्याम सलोना है
चराने गाय आ जाओ
तुम्हें मधुबन बुलाता हैं
वो कान्हा लौट के
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