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कदम की डाल पर मोहन
मधुर मुरली बजाते हो
मै सुध बुध भूल जाती हूं
मुझे तुम क्यों सताते हो
कदम की डाल पर मोहन
मधुर मुरली बजाते हो
बरसाने की गोपी
मुझे मिलकर चिढाती हैं
मैं मिलने आई थी निधिवन
यह सखियां जान जाती हैं
बजाकर बांसुरी मोहन
मुझे तुम क्यों बुलाते हो
कदम की डाल पर मोहन
मधुर मुरली बजाते हो
पनघट पर तुम ग्वाले
हमें क्यों छेड़ने आते
गोकुल से बरसाने
फोड़ने मट
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