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जो संघर्षों के आदी हैं , नहीं परिणाम से डरते।
लहरें चीर कर के भी, समुंदर पार वो करते।।
किनारो पर खड़े हो कर, जो पूछे सागर की गहराई।
समंदर क्या वो दरिया भी, कभी ना पार कर सकते।
आजादी के सपनों ने, ली है लाखों की कुर्बानी
ये धरती है भगत सिंह की, यहां लाखों है बलिदानी।
वह शेरनी जिसने, छुड़ाए अंग्रेजों के छक्के
लगा दी जान की बाजी, थी वो झांसी की एक रानी।
हिमालय के शिखर से आज, फिर आवाज है आई
तू
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