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जो संघर्षों के आदी हैं ,
नहीं परिणाम से डरते।
लहरें चीर कर के भी, समुंदर पार वो करते।।
किनारो से ही जो पूछे
सागर की गहराई।
समंदर क्या वो दरिया भी कभी ना पार कर सकते।
आजादी के सपनों ने
ली है लाखों की कुर्बानी
ये धरती है भगत सिंह की यहां लाखों है बलिदानी।
बहा कर खून का दरिया बढाया मान वीरों का
लगा दी जान की बाजी
थी वो झांसी की एक रानी।
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